Shodashi No Further a Mystery
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The day is observed with wonderful reverence, as followers visit temples, offer you prayers, and engage in communal worship gatherings like darshans and jagratas.
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥
The Sri Chakra is often a diagram formed from nine triangles that encompass and emit out of the central issue.
॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥
She could be the a single obtaining Severe splendor and possessing energy of delighting the senses. Thrilling mental and emotional admiration within the a few worlds of Akash, Patal and Dharti.
ഓം ശ്രീം ഹ്രീം ക്ലീം ഐം സൗ: ഓം ഹ്രീം ശ്രീം ക എ ഐ ല ഹ്രീം ഹ സ ക ഹ ല ഹ്രീം സ ക ല ഹ്രീം സൗ: ഐം ക്ലീം ഹ്രീം ശ്രീം
लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः
This Sadhna evokes innumerable benefits for all spherical economical prosperity and security. Expansion of organization, name and fame, blesses with extended and prosperous married everyday living (Shodashi Mahavidya). The final results are realised promptly once the accomplishment in the Sadhna.
By embracing Shodashi’s teachings, men and women cultivate a life enriched with goal, really like, and relationship to your divine. Her blessings remind devotees of your infinite natural beauty and wisdom that reside in, empowering them to Dwell with authenticity and joy.
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
The Sadhana of Tripura Sundari can be a harmonious mixture of in search of satisfaction and striving for liberation, reflecting the dual facets of her divine nature.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त click here शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।